शिक्षण विधि क्या है?
शिक्षण विधि से तात्पर्य शिक्षक के द्वारा शिक्षण कार्य के प्रस्तुतीकरण से है अर्थात नियोजित करने एवं निष्पादित करने के लिए अपनाए हुए किसी निश्चित स्वरूप से होता है यह व्यापक स्वरूप शिक्षण कार्य को एक स्पष्ट दिशा प्रदान करता है।
शिक्षण के सिद्धांत तथा सूत्र एकाकी और संकुचित प्रकृति के होते हैं जबकि शिक्षण विधियाँ व्यापक प्रकृति की होती है
शिक्षण के सिद्धांतों एवं शिक्षण सूत्रों की सहायता से विद्वानों के द्वारा अनेक शिक्षण विधियों का प्रतिपादन किया गया है इसके अंतर्गत शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षक के द्वारा किए जाने वाले शिक्षण कार्य को वांछित(मन चाहा) शिक्षा प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक तत्व है।
शिक्षण के विभिन्न विधियाँ प्रश्न पर एक दूसरे से पूरी तरह अलग-अलग नहीं होती है वस्तुत उभयनिष्ठ प्रतीत होती है प्रत्येक शिक्षण विधि कि अपना-अपना गुण और सीमा होती है।
शिक्षण विधि के प्रकार
आइए जानते हैं प्रस्तुतीकरण या शिक्षण विधि के प्रमुख पद्धति
शिक्षण विधि मुख्यतःप्रकार चार प्रकार के होते हैं ये शिक्षण विधियाँ निम्नलिखित है:-
शिक्षण विधियाँ(Teaching methods)-
बौद्धिक विधि(Intellectual method)
कथन विधि (Story telling methods)
क्रिया विधि(Action methods)
दृश्य विधि(visual methods)
बौद्धिक विधि के अन्तर्गत निम्न शिक्षण विधियाँ आती है।
बौद्धिक विधि–
आगमन विधि(Inductive Method),
निगमन विधि(deductive Method),
संश्लेषण विधि(Synthesis Method),
विश्लेषण विधि (Analysis Method)इत्यादि।
कथन विधि के अन्तर्गत निम्न शिक्षण विधियाँ आती है।
कथन विधि-
व्याख्यान विधि(Lecture Method)
परिचर्चा विधि(Discussion Method)
कहानी सुनाना (Telling story )इत्यादि।
क्रिया विधि के अन्तर्गत निम्न शिक्षण विधियाँ आती है।
क्रिया विधि-
प्रोजेक्ट विधि(Project Method),
समस्या समाधान विधि(Problem solving Method),
प्रयोगशाला विधि(Laboratory Method) इत्यादि।
दृश्य विधि के अन्तर्गत निम्न शिक्षण विधियाँ आती है।
दृश्य विधि-
पाठ दर्शन विधि (Demonstration Method)
पाठ्यपुस्तक विधि(Text book Method)
पर्यवेक्षक अध्ययन विधि( Observer study method) इत्यादि।
शिक्षण विधि के 6 फ़ायदे।
शिक्षक को शिक्षण के 6 फ़ायदे
शिक्षक को शिक्षण विधियों का ज्ञान होना आवश्यक है इससे उसी ज्ञान के आधार पर शिक्षक अपने उद्देश्य को प्राप्त करते है।
शिक्षक को शिक्षण विधि ज्ञान होने से शिक्षक कक्षा में पढ़ाने से पहले सोचता है कि छात्र को शिक्षण किसी विधि देना है।
किसी भी विषय वस्तु का सही बोध कराने के लिए सही शिक्षण विधि का ज्ञान होना आवश्यक हैं।
जो शिक्षक शिक्षण विधि को नहीं जानता है उसे पढ़ाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है छात्र तथा विषय के बीच कैसे सम्बंध स्थापित करें? वह सोच पड़ जाता है उसे मानसिक बुरा प्रभाव पड़ता है। वह सही विषय वस्तु को नहीं पढ़ा पता है जिससे छात्रों को विषय का बोध नहीं होता है।
जिस शिक्षक को शिक्षण विधि का ज्ञान होते हुए भी उसे प्रयोग नहीं करते है उसे प्रतिदिन शिक्षण गुणवत्ता कमी होती जाती है और वह छात्रों के बीच अच्छे आदर्श शिक्षक का सम्मान नहीं मिल पाता है।
जिस शिक्षक को शिक्षण विधियों का ज्ञान होता है वह शिक्षक विषय वस्तु को अच्छे से बच्चो को बोध करता है जिससे छात्रों का प्रिय और आदर्श शिक्षक बन जाते हैं।
शिक्षक शिक्षण विधि ज्ञान होने विषय का अच्छे से बोध करा पता है बच्चे खुश होते है मन से पड़ते भी है जिससे आत्म संतुष्टि मिलती है।
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