लड़कियों की मन की व्यथा…?

आज आधुनिकता के दौर में लड़कियों की मन की व्याथा…?

लड़कियों की मन की व्यथा...?
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लड़कियों की मन की व्यथा…? हां लड़की किसी भी मामले में अब लड़को से कम नहीं हर क्षेत्र में लड़की अपना नाम कर रही है चाहे खेल क्षेत्र में गोल्ड मेडल लाने में, हवाई जहाज़ में उड़ान भरने से लेकर देश के राष्ट्रपति तक बनने में,

फिर भी कुछ लोगों लड़कियों को अब भी हीन नज़र से देखते हैं उन कुछ लोगों के लिए लड़की का जन्म मात्र शादी कर चुल्हा-चौका करने के लिए हुआ है…?

उनके नजरिये में जो लड़कियां अपने हक़ के लिए थोड़ा बोले पड़े तो वह लड़की बेहया, बद्तमीज आदि कई निर्लज्ज, अतरंगी परिभाषा से सम्बोधित की जाती है

उसी तरह के लोगों के डर आज के आधुनिकता के दौर में भी लड़कियों को अपने अरमानों का गला घोटना पड़ जाता है

लड़कियां ख़ुद ऐसा नहीं करती पर उन लड़कियों का पालन पोषण ही कुछ इस तरह से किया जाता है कि उनकी मानसिकता भी यही मान लेने को तैयार हो जाती है और तैयार नहीं होती है तो

लोग उसे मजबूर कर देते परिवार के मान-सम्मान फलना-डिफकाना इत्यादि का नाम लेकर ।

बस यूही आज मन हुआ तो लिखने लगी अपने ऊपर कोई ना ले…
आज के दौर में भी शादी के मामले लड़कियों को उनकी शिरत से ज़्यादा सुरत से परखा जाता है बोले तो शादी के नाम पर सौदा (दहेज प्रथा) किया जाता है हर तरह से लड़को से ज़्यादा लड़कियों को परखा जाता है

सवाल उठता है? किस हद तक ये सही है?

क्या लड़की को अपने ज़िन्दगी का फ़ैसला करने का हक़ नहीं आख़िर क्यों?
आज भी लड़कियां अपने इच्छा के विरुद्ध अपने ही ख्वाहिशों को दबा देती है आख़िर कब तक ये सब होता रहेगा …

क्या लड़कियों को अपने आत्मनिर्भर होने के लिए सोचना पाप है? अपने हक़ के लिए बोलना ग़लत है…?

जब ग़लत ना है तो लोग क्यों एक लड़की के अपने लिए अपने हक़ के लिए बोलने पर अनेक प्रकार की टिप्पणियां जैसे बद्तमीज, बेशर्म इत्यादि से सम्बोधित करने लगते हैं?

लेखिका- ममता कुशवाहा

1 thought on “लड़कियों की मन की व्यथा…?”

  1. Bahut hi badhiya article hai…
    Ladkiyo ko khud hi aage aake samaj ko btana hoga ki hum kisi se Kam nhi…
    Keep writing…

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