तनाव क्या है?| तनाव प्रबंधन में विभिन्न योगिक विधियों की उपयोगिता को स्पष्ट करें|What is stress? Explain the usefulness of various yogic methods in stress management

तनाव (stress) क्या है?, तनाव प्रबंधन क्या है ? योग से कैसे ठीक या उपयोगी बनाया जा सकता है ? सबसे पहले जानते है

तनाव क्या है? या परिभाषा?

तनाव की परिभाषा स्पष्ट सरल शब्दों में कहा जाय तो तनाव मन के अंदर में उत्पन होने वाले विकार को ही तनाव कहते है।

प्राचीन काल से ही मानसिक रोगों का उपचार मनोवैज्ञानिकों के लिए चुनौती रहा है सामान्यतः देखा गया है कि लगभग सभी प्रकार के मानसिक रोगों का मूल कारण तनाव है

तनाव के प्रकार ?

तनाव मुख्यता दो कारणों से उत्पन्न होता है बाह्य वातावरण में उपस्थित कारण तथा व्यक्ति के अंतर्निहित व्यक्तिगत काम योगिक उपचार का सीधा सम्बंध से है

इसमें मनोरोगी के असामान्य व्यवहार में विभिन्न प्रवृत्तियों के द्वारा सुधार का प्रयास किया जाता है योग चिकित्सा में मानसिक बीमारी न हो इस पर बल दिया जाता है जबकि मनस चिकित्सा में यानी साइकोथेरेपी में मानसिक बीमारी को दूर करने पर बल दिया जाता है।

आधुनिक काल में प्रतिस्पर्धा महत्त्वकांक्षी इत्यादि कारणों से-से व्यक्ति के मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है अतः मनस चिकित्सा एवं योग चिकित्सा का तुलनात्मक अध्ययन अपेक्षित है।

मानसिक रोगी के रोग के उपचार के लिए योगिक सिद्धांत:-

1.) संतुलन का सिद्धान्त

2.) संपूर्णता का सिद्धान्त

3.)मानसिक शुद्धिकरण का सिद्धांत

4.) विस्तृत चेतना का सिद्धांत

आइए चलते हैं मानसिक रोग के उपचार के कुछ महत्त्वपूर्ण सिद्धांत व्याख्या जानते है-

1.) संतुलन का सिद्धांत

योग के अनुसार प्रायः मानसिक रोगियों में प्राण तथा मानसिक असंतुलन होता है जब इडा नाड़ी अधिक प्रभावित होती है तब व्यक्ति संवेगात्मक तथा भावनात्मक असंतुलन से पीड़ित होता है तथा नकरात्मक विचारो से कष्ट पता है।

2.) संपूर्णता का सिद्धांत-

प्राचीन युग में वैज्ञानिक के अनुसार स्वास्थ्य का अर्थ है शारीरिक क्षमता मानसिक क्षमता, योग का आध्यात्मिक आनंद से। ऐसी मान्यता है कि मानसिक रोग शरीर, मन तथा आत्मा के बीच असंतुलन का परिणाम है मानसिक रोग के उपचार में योग सिर्फ़ का उपचार नहीं करता है बल्कि संपूर्ण व्यक्तित्व में परिवर्तन लाने का प्रयत्न करता है।

3.) मानसिक शुद्धिकरण का सिद्धांत-

मन, शरीर तथा आत्मा के बीच सेतु माना गया है शरीर तथा आत्मा की समस्याएं मन में एकत्र होकर कई मानसिक रोगों को उत्पन्न करते हैंअतः योग मन के शुद्धिकरण पर बल देता है इसके लिए योग में कई विधियां हैं जैसे प्रणाम प्रत्याहार धारणा ध्यान इत्यादिविशेषकर प्रतिहार के विधियों जैसे योगनिद्रा, अजपा-जप, अंतर मौन, आदि मन के नकारात्मक भाव एवं तनाव को दूर कर मन को सकारात्मक एवं शुद्ध बानते हैं।

4.) विस्तृत चेतना का सिद्धांत-

योग की मान्यता है कि अधिकांश मानसिक रोग चेतना के संकुचित हो जाने के कारण उत्पन्न होते हैं “मैं” , “अहम” का बोध ही तनाव का मुख्य स्रोत है जो आसक्ति अहंकार तथा राग तथा द्वेष को उत्पन्न करते हैं

अतः चेतना के विस्तार के लिए आवश्यक मापदंड का होना अनिवार्य है इसे मैं का अनुभव हम के हम के अनुभव में परिवर्तित हो सके।

व्यक्ति द्वारा समष्टि का चिंतन करना, अपनापन को दायरे को बढ़ाना विस्तृत चेतना का आधार है

जब विस्तृत चेतना विकसित होती है तो अनासक्ति में धीरे-धीरे परिणत हो जाती है और व्यक्ति राग तथा द्वेष की भाव से मुक्त हो जाता है

इस भाव से विकास के मानसिक समस्याओं का निदान तो होता है इससे बचने में सहायता मिलती है।

मानसिक रोगों के उपचार के लिए मनस चिकित्सा

मनस चिकित्सा के इतिहास में फ्रायड पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मानसिक विकृतियों से ग्रसित लोगों को उपचार के मनोवैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया।

फ्रायड चिकित्सा निम्नलिखित चरणों में संपन्न होती है-

स्वतंत्र साहचर्य अवस्था (स्टेज ऑफ एसोसिएशन)

इसमें आरामदायक स्थितियों में रोगी को लिटा दिया जाता है तथा चिकित्सा रोगी से यह अनुरोध करता है कि इसके मन में जो भी आता जाए उसे वह बिना संकोच के कहता जाए चाहे वे विचार सार्थक हो या निरर्थक नैतिक हो या अनैतिक यदि रोगी कुछ किसकी हिचकिचाहट अनुभव करता है तो चिकित्सक उसकी मदद करता है

प्रतिरोध की अवस्था (स्टेज ऑफ रेसिस्टेंस)

अपनी बात कहते-कहते रोगी चुप हो जाता है या दूसरी बातें कहने लगता है उसे प्रतिरोध की अवस्था कहते है वैसे परिस्थिति में चिकित्सक प्रतिरोध को समाप्त करने के लिए समोहन या सुझाव का सहारा लेता है।

नोट :- योगिक चिकित्सा एवं मनस चिकित्सा का तुलनात्मक अध्ययन करें।

उपरोक्त लिखे उत्तर ही होगा।

सकारात्मक तनाव क्या है?

सकारात्मक तनाव व्यक्ति को अपने काम को करने का लिए एक जवाबदेही (responsiblity) देता है। तथा प्रतिबद्धता को बनाए रखने में सहायक होता है।

तनाव कितने प्रकार के होते है?

तनाव दो प्रकार के होते है
1. यू स्ट्रेस।
2. डी स्ट्रेस।

तनाव के मुख्य कारण क्या है?

मन में उत्पन विकार ही तनाव के मुख्य कारण है।

तनाव शरीर को क्या करता है?

तनाव शरीर को सुचारू रूप से संचालन में बढ़ा पहुंचता है जिससे सभी तंत्रिका तंत्र और शरीर क्रियाशील नहीं रहता है।

तनाव प्रबंधन के लिए क्या कर सकते है?

तनाव प्रबंधन के लिए आप योग सबसे अच्छा उपाय है ।

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