महिला और दर्द|अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

महिला और दर्द,अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस:-

हा हा, महिला….वो शब्द जो हर बार,हर दिन,हर वक़्त – बस एक व्यंग्य के रूप में व्यक्त किया जाता रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आज मना लो,कुछ दिनों तक मनाते रहना इसी तरह और फिर वही “ढाक के तीन पात ” वाली कहावत को चरितार्थ करते रहना।

महिला और महिलाओं दर्द कम करने के लिए आज फिर से महिलाओं के सम्मान, उनकी उन्नति के लिए लंबे-चौड़े मंच से बड़े बड़े वादे किए जाएंगे,बड़ी बड़ी बातें बोली जायेंगी

लेकिन कल-परसों से फिर वही सब- दहेज के लिए हत्या,उत्पीड़न,सामूहिक बलात्कार आदि सब…..

कोई बात नहीं ,है तो खिलौना ही ना…?😢 हर बार वही खेली गई और ठगी गयी- पहले अपने उस परिवार में जहाँ उसने जन्म लिया,फिर वहाँ जहाँ पर मृत्यु की पटकथा लिखी जाएगी। हर दिन वही खेल….

क्या तुम थकते नहीं हो एक ही खिलौने से खेलते-खेलते। कब तक इस खिलौने से खेलोगे तुम? कब तक ये सब चलता रहेगा? कब तक एक महिला के लिए “अबला” शब्द प्रयोग करते रहोगे?

तुम तो कहते थे कि आज महिलाऐं पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चल रही है? लेकिन कितने हैं ,क्या ये जानने का प्रयास तुमने किया है?

हर साल आज के दिन 8 मार्च 1921 से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है,लेकिन वास्तविकता इतनी सी है बस महिलाओं को एहसास दिलाने के लिए कि उसपर भी सबका ध्यान जा रहा है,

ना कि उनके सम्मान के लिए।। 😡😡 अरे जाहिलों,कम से कम उस माँ के नाम के खातिर तो सम्मान दो,जिसने तुम्हें 9 महीने अपनी कोख में रखा।

इस वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र ने इस महिला दिवस का थीम रखा है- ‘जेन्डर ’इक्वैलिटी फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’…

बस …क्या इतना काफी है इनके सम्मान के लिए? अगले वर्ष फिर इसकी थीम बदली जाएगी। लेकिन क्या हम इनका सही सम्मान दे पा रहे हैं????जवाब खुद सोचियेगा…

आज एहसासों के कलम कतई नहीं रुकेंगे, किन्तु समयाभाव की वजह से आज भर इतना ही। बस अपनी लिखी इन पंक्तियों से अपनी बात खत्म करना चाहूंगा कि…

घर टूटा था अपना भी लेकिन वो डेरा ना हुआ,

क्यों हमारी सम्मान की खातिर बखेड़ा ना हुआ,

कर लो वादे फिर हमें अबला समझकर,

फिर ना कहना कि इस जिंदगी का अगला सवेरा ना हुआ।

अपनी ज़िंदगी मे भले कुछ ना करना लेकिन कम से कम एक औरत का सम्मान जरूर करना। क्योंकि…

International women’s day

W- wheel of family.
O- Ocean of knowledge.
M- mirror of children.
A- Addess of Love.
N-Navigator of life boat.

लेखक –

श्रवण कुमार “शाश्वत”
(शिक्षक,बेगुसराय)

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